BSF के पूर्व हवलदार 16 माह बाद भी नहीं मिली Pension, Prime Minister Narendra Modi से न्याय की मांग

नई दिल्ली: BSF जवान ने Pension ना मिलने पर PM से लगाई गुहार । (Border Security Force) में 25 साल और 17 दिन तक सेवा देने वाले हवलदार Gautam Bachhar को VRS (स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति) लेने के 16 महीने बाद भी Pension का लाभ नहीं मिला है। Pension की प्रक्रिया में देरी और प्रशासनिक खामियों से परेशान होकर उन्होंने Prime Minister Narendra Modi और Department of Personnel and Training (DoPT) से न्यायिक जांच की मांग की है।

Gautam Bachhar ने 31 जुलाई 2023 को BSF की 31वीं बटालियन से VRS लिया था। उनके Pension प्रक्रिया के तहत PPO (Pension Payment Order) नंबर जारी किया गया था, लेकिन तकनीकी समस्याओं और प्रशासनिक लापरवाही के कारण Pension आज तक शुरू नहीं हो सकी।

तकनीकी समस्याओं ने रोकी Pension प्रक्रिया
BSF PAD (Pension Administration Directorate) के वरिष्ठ लेखा अधिकारी ने इस संबंध में CPAO (Central Pension Accounting Office) को पत्र लिखा था। CPAO ने बताया कि EPPO (Electronic Pension Payment Order) की PDF फाइल डैमेज हो गई है। इसके कारण फाइल को आगे प्रोसेस नहीं किया जा सकता। ‘Bhuvishya Portal’ पर यह फाइल न तो PAO (Pension Assigning Officer) के स्तर पर और न ही CPAO स्तर पर उपलब्ध है।

Gautam Bachhar का कहना है कि इतने लंबे समय तक फाइल डैमेज होने की बात कहकर उनकी Pension प्रक्रिया को अनावश्यक रूप से रोका गया है। उन्होंने इस देरी को उनके मौलिक अधिकार का उल्लंघन बताया।

Prime Minister और Ministry को लिखा पत्र
Gautam Bachhar ने Prime Minister Narendra Modi को पत्र लिखते हुए कहा, “Pension कोई भत्ता नहीं है। यह एक मौलिक अधिकार है और देश के लिए सेवा करने वाले जवान का सम्मान है। मेरे द्वारा किए गए इतने प्रयासों के बावजूद BSF PAD और CPAO Pension जारी नहीं कर पा रहे हैं। यह मेरे और मेरे परिवार के लिए बेहद तकलीफदेह है।”

उन्होंने पत्र में वित्तीय संकट का जिक्र करते हुए कहा कि उन्हें इस देरी के कारण गंभीर आर्थिक और भावनात्मक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। Gautam ने मांग की है कि इस पूरे मामले की न्यायिक जांच हो और यह पता लगाया जाए कि Pension प्रक्रिया में देरी का जिम्मेदार कौन है।

हरजाने की मांग और कानूनी कदम का संकेत
Gautam Bachhar ने DoPT (Department of Personnel and Training) के Pension Department को भी पत्र लिखा है। उन्होंने कहा कि Pension प्रक्रिया में हुई देरी के लिए उन्हें हरजाना दिया जाए। उन्होंने यह भी मांग की कि जिस अधिकारी की लापरवाही से यह देरी हुई है, चाहे वह BSF PAD का हो या CPAO का, उसके खिलाफ कार्रवाई की जाए।

उन्होंने स्पष्ट किया कि यदि सात दिनों के भीतर उनकी Pension प्रक्रिया पूरी नहीं होती, तो वह संबंधित अधिकारियों और विभाग के खिलाफ कानूनी मदद लेंगे और न्यायालय का सहारा लेंगे।

Gautam Bachhar का आर्थिक और भावनात्मक संघर्ष
Gautam Bachhar ने बताया कि Pension न मिलने के कारण उनका जीवन बेहद कठिन हो गया है। उन्होंने कहा, “देश सेवा के बाद धक्के खाने पड़ रहे हैं। मुझे ऐसा लगता है कि मुझे जानबूझकर प्रताड़ित किया जा रहा है।”

उनका कहना है कि Pension न मिलने से उन्हें अपनी बचत खत्म करनी पड़ी है और अब वह कर्ज लेने को मजबूर हैं। यह स्थिति न केवल आर्थिक रूप से बल्कि मानसिक रूप से भी उन्हें गहरी चोट पहुंचा रही है।

BSF का दावा: जानकारी उपलब्ध है
BSF की ओर से यह दावा किया गया है कि Bhuvishya Portal पर Pension से संबंधित सभी जानकारियां उपलब्ध कराई गई हैं। हालांकि, EPPO का PDF फाइल ‘Bhuvishya Portal’ पर न दिखने के कारण यह मामला 16 महीने से लटका हुआ है।

समाज में आक्रोश और समर्थन
Gautam Bachhar की स्थिति पर पूर्व सैनिक और समाज के विभिन्न वर्गों ने नाराजगी व्यक्त की है। पूर्व सैनिक संघ के सदस्य कर्नल (सेवानिवृत्त) अमर सिंह ने कहा, “यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि जिन्होंने देश की सेवा की, उन्हें अपने अधिकारों के लिए इस तरह संघर्ष करना पड़ रहा है। सरकार को तत्काल इस मामले का समाधान करना चाहिए।”

सुधार की जरूरत
यह मामला Pension प्रणाली की खामियों को उजागर करता है। विशेषज्ञों का कहना है कि Pension प्रक्रिया को डिजिटल और स्वचालित बनाना चाहिए, ताकि दस्तावेजों की कमी या तकनीकी खामियों के कारण Pension में देरी न हो।

निष्कर्ष
Gautam Bachhar का मामला प्रशासनिक लापरवाही और तकनीकी खामियों का प्रतीक है। यह घटना न केवल सरकारी प्रणाली में सुधार की जरूरत को रेखांकित करती है, बल्कि यह भी बताती है कि जवानों को उनका हक दिलाने में कितनी कठिनाइयां आती हैं।

Gautam और उनके परिवार को अब भी उम्मीद है कि Prime Minister Narendra Modi और संबंधित अधिकारी उनकी समस्याओं को जल्द से जल्द सुलझाएंगे। उनका कहना है कि यह लड़ाई केवल उनके लिए नहीं, बल्कि हर उस सैनिक के लिए है जो देश सेवा के बाद अपने अधिकारों से वंचित हो रहा है।

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