भू-चुंबकीय तूफान/Geomagnetic Storm/Northern Lights/Aurora Lights/Aurora Borealis: ये क्या है और कैसे होता है?
भू-चुंबकीय तूफान/Geomagnetic Storm जिसे हम Northern Lights/Aurora Lights या Aurora Borealis भी कहते हैं , धरती के चुंबकीय क्षेत्र में होने वाला एक बड़ा बदलाव है, जो सूरज की गतिविधियों की वजह से होता है। हाल ही में अक्टूबर के पहले सप्ताहांत में अमेरिका के कई हिस्सों में रात के आसमान में एक जियोमैग्नेटिक तूफान देखा गया। दक्षिण अफ्रीका की राष्ट्रीय अंतरिक्ष एजेंसी (Sansa) ने बताया कि यह तूफान 3 अक्टूबर को सूरज पर मौजूद सनस्पॉट 3842 से निकले एक सौर फ्लेयर की वजह से हुआ। इस तूफान ने कुछ समय के लिए हाई-फ्रीक्वेंसी रेडियो संचार को प्रभावित किया और अफ्रीका में लगभग 20 मिनट के लिए रेडियो ब्लैकआउट हो गया।
जियोमैग्नेटिक तूफान /Geomagnetic Storm क्या होता है?
जियोमैग्नेटिक तूफान/Geomagnetic Storm धरती के चुंबकीय क्षेत्र में एक गड़बड़ी होती है, जो सूरज की गतिविधियों से पैदा होती है। सूरज के केंद्र में लगातार न्यूक्लियर फ्यूजन होता रहता है, जिससे बहुत बड़ी मात्रा में ऊर्जा निकलती है। इस ऊर्जा का कुछ हिस्सा प्रकाश (सूरज की रोशनी) के रूप में, कुछ रेडिएशन (सौर फ्लेयर) के रूप में और कुछ चार्ज्ड पार्टिकल्स के रूप में निकलता है। सूरज से लगातार चार्ज्ड पार्टिकल्स का एक प्रवाह निकलता रहता है, जिसे सोलर विंड कहते हैं।
कभी-कभी सूरज से बड़ी मात्रा में ऊर्जा का विस्फोट होता है, जिसे कोरोनल मास इजेक्शन कहा जाता है। इसमें चार्ज्ड पार्टिकल्स का एक बड़ा बादल अंतरिक्ष में तेजी से फैलता है। यह बादल जब धरती के चुंबकीय क्षेत्र से टकराता है, तो जियोमैग्नेटिक तूफान पैदा होता है।
धरती का चुंबकीय क्षेत्र कैसे काम करता है?
धरती का चुंबकीय क्षेत्र एक अदृश्य ताकत है, जो हमारी धरती के चारों ओर फैली हुई है और इसे एक बड़े चुंबक की तरह उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव के साथ जोड़ा जा सकता है। यह क्षेत्र हमें सूरज से आने वाले हानिकारक रेडिएशन से बचाता है, जो सूरज से आने वाले चार्ज्ड पार्टिकल्स को विक्षेपित करता है।
यह तूफान कैसे पैदा हुआ?
3842 सनस्पॉट से निकले सौर फ्लेयर ने दोनों प्रकार के फ्लेयर (X-फ्लेयर और कोरोनल मास इजेक्शन) को उत्सर्जित किया। X-फ्लेयर एक प्रकार का रेडिएशन है, जो प्रकाश की गति से यात्रा करता है और मिनटों में धरती तक पहुँचता है। इस वजह से 3 अक्टूबर को रेडियो संचार में बाधा आई। लेकिन कोरोनल मास इजेक्शन (चार्ज्ड पार्टिकल्स का बादल) धरती तक पहुँचने में ज्यादा समय लेता है और यह 8 अक्टूबर की सुबह धरती से टकराया।
कितनी बार होते हैं जियोमैग्नेटिक तूफान/Geomagnetic Storm?
जियोमैग्नेटिक तूफान /Geomagnetic Storm काफी बार होते हैं। छोटे तूफान हर साल कई बार आते हैं, जबकि बड़े और गंभीर तूफान कुछ वर्षों में एक बार होते हैं। सूरज की गतिविधियों का एक 11-वर्षीय साइकिल होता है, जिसमें ऊँची और नीची गतिविधि के दौर होते हैं। जब यह साइकिल अपने चरम पर होती है, जिसे सोलर मैक्सिमम कहा जाता है, तो ज्यादा सनस्पॉट्स और सौर फ्लेयर होते हैं, जिससे तूफानों की संभावना बढ़ जाती है।
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क्या ये तूफान खतरनाक हैं?
ये तूफान सीधे तौर पर इंसानों के लिए खतरनाक नहीं होते, लेकिन आधुनिक तकनीक और इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए यह खतरा बन सकते हैं:
- पावर ग्रिड: बड़े तूफान पावर लाइनों में विद्युत करंट पैदा कर सकते हैं, जिससे ट्रांसफार्मर फेल हो सकते हैं और ब्लैकआउट हो सकता है। ऐसा 1989 में कनाडा के क्यूबेक में हुआ था।
- सैटेलाइट्स: सैटेलाइट्स की इलेक्ट्रॉनिक्स को नुकसान पहुंच सकता है, जिससे संचार सेवाएं बाधित हो सकती हैं और उनकी उम्र कम हो सकती है।
- विमान और जीपीएस: विमान संचार और नेविगेशन को भी यह तूफान प्रभावित कर सकते हैं, खासकर उत्तरी ध्रुव के पास उड़ने वाले विमानों के लिए।
क्या जियोमैग्नेटिक तूफान का कोई फायदा भी है?
- ऑरोरा (उत्तरी/दक्षिणी लाइट्स) Aurora Lights/Northern Lights: इन तूफानों के कारण उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव के आसमान में रंगीन रोशनी (ऑरोरा) दिखाई देती है, जिसे देखने का अनुभव अद्भुत होता है। अगर तूफान बहुत बड़ा हो, तो इसे ध्रुवों से दूर स्थानों पर भी देखा जा सकता है, जैसे 11 मई 2024 को दक्षिण अफ्रीका में।
- विज्ञान और भविष्यवाणियाँ : जियोमैग्नेटिक तूफानों/Geomagnetic Storm का अध्ययन करके वैज्ञानिक भविष्य में होने वाले तूफानों की बेहतर भविष्यवाणी कर सकते हैं और इस तरह से हमारी तकनीकी सेवाओं को सुरक्षित रखने के लिए उपाय कर सकते हैं।
क्या जियोमैग्नेटिक तूफानों की निगरानी से जोखिम को कम किया जा सकता है?
जियोमैग्नेटिक तूफानों की निगरानी करने के लिए धरती और अंतरिक्ष में कई उपकरणों का उपयोग किया जाता है। इन तूफानों से जुड़े जोखिमों को कम करने के लिए निगरानी करना बहुत महत्वपूर्ण है। आइए समझते हैं कि कैसे निगरानी से जोखिम कम किए जा सकते हैं।
धरती पर निगरानी
- मैग्नेटोमीटर: धरती पर मैग्नेटोमीटर नामक उपकरणों से चुंबकीय क्षेत्र में होने वाले बदलावों को मापा जाता है। इससे वैज्ञानिक तूफानों का पता लगा सकते हैं और उनकी गतिविधियों को ट्रैक कर सकते हैं।
- Sansa की व्यवस्था: Sansa (दक्षिण अफ्रीका की राष्ट्रीय अंतरिक्ष एजेंसी) ने अफ्रीका में कई स्थानों पर ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम रिसीवर्स और मैग्नेटोमीटर स्टेशन लगाए हैं। इसके साथ ही, इथियोपिया में भी एक नया मैग्नेटोमीटर स्टेशन स्थापित किया जा रहा है। इससे जियोमैग्नेटिक तूफानों की निगरानी और बेहतर हो सकेगी।
अंतरिक्ष में निगरानी
- सैटेलाइट्स द्वारा निगरानी: अंतरिक्ष में सैटेलाइट्स पर लगे सेंसर सूरज की गतिविधियों को मॉनिटर करते हैं और सौर फ्लेयर्स या कोरोनल मास इजेक्शन का पता लगाते हैं। इससे हमें यह जानकारी मिलती है कि ये तूफान कब धरती तक पहुंचेंगे।
शुरुआती चेतावनी और तैयारी
- चेतावनी प्रणाली: जब भी तूफान का पता चलता है, तो Sansa जैसे एजेंसियाँ अलर्ट और पूर्वानुमान जारी करती हैं। ये चेतावनियाँ उन उद्योगों तक पहुंचाई जाती हैं जो इन तूफानों से प्रभावित हो सकते हैं, जैसे कि पावर ग्रिड ऑपरेटर्स, सैटेलाइट कंपनियाँ, और विमानन प्राधिकरण।
सुरक्षा के उपाय
- पावर ग्रिड ऑपरेटर: बिजली कंपनियाँ तूफान के दौरान पावर ग्रिड के कुछ हिस्सों को अस्थायी रूप से बंद कर सकती हैं या उन्हें सुरक्षित मोड में बदल सकती हैं ताकि ओवरलोडिंग से बचा जा सके।
- सैटेलाइट ऑपरेटर: सैटेलाइट कंपनियाँ अपने सैटेलाइट्स को सुरक्षित ऑपरेटिंग मोड में डाल सकती हैं, जैसे कि कुछ इलेक्ट्रॉनिक घटकों को बंद कर देना।
- विमानन: विमानन कंपनियाँ तूफान के दौरान हवाई जहाजों को उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों से दूर भेज सकती हैं ताकि कोई परेशानी न हो।
क्या निगरानी से सभी समस्याएं हल हो सकती हैं?
निगरानी से सभी नुकसान को पूरी तरह से रोका नहीं जा सकता, लेकिन यह निश्चित रूप से जोखिम को कम कर सकती है। शुरुआती चेतावनी प्रणालियों की मदद से हम महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे (जैसे पावर ग्रिड और सैटेलाइट्स) को सुरक्षित कर सकते हैं और इन तूफानों से होने वाले असर को कम कर सकते हैं। इससे हमारी रोज़मर्रा की जिंदगी पर इन तूफानों का प्रभाव कम पड़ता है।